Kanhaiya lal mishra prabhakar biography of alberta

Correggio antonio allegri biography

इस आर्टिकल में हम कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन परिचयKanhaiyalalMishra Prabhakarka Jeevan Parichay पढेंगे, इससे पहले हमने तुलसीदास और रसखान का जीवन परिचय पढ़ चुके हैं, तो चलिए विस्तार से पढ़ते हैं कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन परिचय| Biography of Kanhiyalal Mishra Prabhakar in Hindi –

कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जीवन परिचय – (संक्षिप्त परिचय)

नामकन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
जन्म29 मई, सन् 1906 ई०
जन्म – स्थानसहारनपुर स्थित देवबन्द ग्राम
पितापं० रमादत्त मिश्र
माताकोई साक्ष्य प्रमाण प्राप्त नहीं है।
मृत्यु9 मई, सन् 1995 ई०
रचनाएँआकाश के तारे, धरती के फूल, जिन्दगी मुस्करायी, भूले बिसरे चेहरे आदि

कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जीवन परिचय

प्रास्तावना

भारत की भूमि पर अनेक साहित्यकारों का जन्म हुआ उन साहित्यकारों मे कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ जी एक है | ये एक आदर्शवादी पत्रकार रहे है| प्रभाकर जी ने किशोरावस्था में जबकि व्यक्तित्व के गठन के लिए विद्यालयों की शरण आवश्यक होती है, प्रभाकर जी ने राष्ट्रीय संग्राम में भाग लेना ही अधिक पसन्द किया इनके लेख इनके राष्ट्रीय जीवन के मार्मिक संस्मरणों की जीवन्त झाँकिया है, जिनमें भारतीय स्वधीनता के इतिहास के महत्वपूर्ण पृष्ठ भी है। इनका जीवन बहुत ही कष्टदायक था । ये बहुत सरल स्वभाव के थे। स्वतन्नता के बाद इन्होंने अपना समय पत्रकारिता में लगा दिया।

जन्म – स्थान

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जन्म 29 मई, सन् 1906 ई० में सहारनपुर स्थित देवबन्द ग्राम के एक सामान्य ब्राह्मण परिवार में हुआ था |

माता – पिता

कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी के पिता का नाम पं० रमादत्त मिश्र था तथा माता के नाम के सम्बन्ध में कोई साक्ष – प्रमाण प्राप्त नहीं है।

शिक्षा

कन्हैयालाल मिश्र जी को अनेक भाषाओ का ज्ञान था। इन्होंने खुर्जा के संस्कृत विद्यायल से अपनी शिक्षा प्राप्त की ।कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी की शिक्षा का कोई अन्त नहीं है।

मृत्यु

9 मई, सन् 1995 ई० को इस महान साहित्यकार कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का निधन हो गया।

साहित्यिक – परिचय

इनके व्यक्तित्व की दृढ़ता, विचारों की सत्यता, अन्याय के प्रति आक्रोश, उदारता, सहदयता और मानवीय करुणा की छलक इनकी रचनाओ में मिलती है। अपने विचारों में ये उदार , राष्ट्रवादी और मानवतावादी है इसलिए देश-प्रेम और मानवीय निष्ठा के अनेक रुप इनके लेखों में मिलते है |

भाषा

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ जी की भाषा सामान्यतया तत्सम शब्द प्रधान, शुद्ध और साहित्यिक खड़ीबोली है।

शैली

वर्णनात्मक, भावात्मक, नाटक – शैली के रुप इनकी रचनाओं मे देखने को मिलते है |

कृतियाँ

आकाश के तारे, धरती के फूल, जिन्दगी मुस्करायी, भूले बिसरे चेहरे, दीप जले शंख बजे, महके आँगन चहके द्वार, माटी हो गयी सोना आदि|

Share on WhatsAppShare on FacebookShare on X (Twitter)Share on LinkedInShare on Telegram

Categories Biography